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संस्था परिचय/Sanstha Parichay

हमलोगों का यह विश्वास है कि समस्त प्राणियों में एक ही आत्मा का वास है। हम सब आत्मबन्धु  है। हमलोग सब प्राणियों में एक ही आत्मा के दर्शन का प्रयास करते हैं। इसीलिये हमने अपनी संस्था का नाम आत्म-दर्शन रखा है। यह एक छोटी-सी गोष्ठी है। कलकत्ता के हिन्दुस्तान क्लब में हमलोग  सप्ताह में एक या दो बार मिलकर श्रीमद् भगवत् गीता, उपनिषद्, योग वशिष्ठ, अष्टावक्र गीता,  श्रीमद्भागवत, रामायण, पञ्चदशी, विवेक चूड़ामणि एवं अन्य वेदान्त दर्शन, सांख्य एवं भक्ति प्रधान ग्रन्थों का अध्ययन तथा शास्त्रों के वचनों पर चर्चा एवं विचार विमर्श करते हैं। हमारी गोष्ठी के एक  सदस्य श्री अरुण शर्मां ने शास्त्रों के भिन्न विषयों को कविताओं और लेखों के माध्यम से पुस्तकों के  रूप में लिपिबद्ध किया है, जिन्हें हमलोग इस वेबसाइट पर लोड कर रहे हैं।  

आशा करते हैं कि जिज्ञासु आत्म बन्धुओं को ये रचनाएं एवं पुस्तकें पसन्द आएंगी और भविष्य में हमें  और अधिक आत्मबन्धुओं का सहयोग और सानिघ्य प्राप्त होगा।

आत्म मंथन/Aatma Manthan

भजन/Bhajan

संगीत/Sangeet

प्रशंसापत्र / Testimonials

What people said about my books

प्रारब्ध-कर्म को भोगता हुआ जो मनुष्य गीता के अभ्यास में निरत है,
वह इस लोक में मुक्त और सुखी होता है तथा कर्म में लिप्त नहीं होता।